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देहरी पर दीपक | Dehari Par Deepak 

सेतु प्रकाशन प्रा. लि., नयी दिल्ली 

संस्करण (25 नवंबर 2021), पेपरबैक ‏: ‎ 216 पेज,  ISBN-10 ‏ : ‎ 9391277241,  ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9391277246, मूल्य : रु. 249

परिचय । Introduction

देहरी पर दीपक का यथार्थ वह ग्रामीण भारतीय जनमानस जानता है, जो आज के उत्तर आधुनिक, उग्र उपभोक्तावादी दौर से पहले का है।

 

देहरी के दीपक में आश्वस्ति होती है, घुप्प अंधकार के बीच हमारी भवता के सहकार की उसमें ऊष्मा होती है, भरोसा होता है अन्धकार के भीतर सुरक्षित रहने का। उसी तरह माधव हाड़ा का दीपक बौद्धिक विवेक का आश्वासन है। इसमें किसी किस्म की आक्रामकता नहीं है, न ही किसी किस्म की परमुखापेक्षिता। है तो विवेक के साथ समय और समाज के साथ संवाद का आग्रह। इस संवाद में न परम्परा का निषेध है, न परंपरागत विषयों और न आधुनिक संदर्भों का।

 

इसमें समय और समाज के साथ सार्थक संवाद का आग्रह है । इसलिए इसमें मीरा और सूरदास हैं,तो तुगलक और ब्रह्मराक्षस भी। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की भारतीय परम्परा है, तो छायावाद का विश्लेषण भी।

विषयों और संदर्भों की प्रासंगिकता के बीच परंपरा, संस्कृति, जन चेतना का दृश्य रूप आदि वे संगतियाँ हैं, जिससे इस विविधता की आंतरिकता की निर्मिति होती है । यह एकान्विति ही हमारी आश्वस्ति का मूल आधार ।

"यह सवाल स्वाभाविक है कि अभिव्यक्ति के इस पारंपरिक बहुवचन की मौज़ूदगी वर्तमान भारतीय परिदृश्य पर बहुत मुखर और ध्यानाकर्षक क्यों नही है या अभिव्यक्ति के स्थगन और उस पर रोक-टोक की घटनाओं का कोलाहल ही दृश्य पर इतना प्रमुख क्यों है? दरअसल भारतीय समाज ऐसा समाज है, जो सतह पर कम, अंदर ज़्यादा है। सतह के दृश्य को प्रमाण हमारे यहाँ कभी नहीं माना गया। देहरी-दीपक न्याय हमारी आदत में है। हमारे यहाँ दीपक देहरी पर, बीच में है और इसका उजाला अंदर-बाहर सब जगह है। जो दीपक को केवल अंदर या बाहर रखकर उसके सीमित उजाले में सोचते-समझते हैं, हमारे यहाँ उनकी संख्या गिनती की है। शेष अधिकांश के यहाँ तो दीपक देहरी पर है और उन्हें अंदर से बाहर को और बाहर से अंदर को देखने-समझने आदत सदियों से है।"

- देहरी पर दीपक, पृ. 21

 

समीक्षाएँ ।Reviews

1. समालोचन । अलक्ष्य का औदात्य । नीरज । 25 अगस्त, 2022

2. आजकल । साहित्य के इतिहास बोध की समकालीन आलोचनात्मक दृष्टि । मीना बुद्धिराजा। सितंबर, 2022

3. मधुमती । देहरी पर दीपक। उद्भावना। अर्पिता राठौड़ । जून, 2022

4. उद्भावना । देहरी पर दीपक । रेणु व्यास

© 2016 by Madhav Hada

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